कितना बदला बजट

एक फ़रवरी को सुबह 11 बजे देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद भवन में वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट प्रस्तुत करेंगी। हमने हाल के वर्षो में बजट की दस्तावेज़ो से भरी फाइल को पेपरलेस टेबलेट स्क्रीन में बदलते देखा है। और यह बजट के प्रारूप में आए बदलावो का अंश मात्र है। साल 1860 में जेम्स विल्सन द्वारा भारत का पहला बजट पेश किया गया था। तब से आज तक भारत के इस अर्थिक बही खाते के प्रारूप में कई बदलाव आए हैं। जिसमें एक बड़ा बदलाव साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार द्वारा किया गया, जब दशकों से निर्धारित बजट के समय को शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे किया गया। और तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने संसद में बजट सुबह 11 बजे पेश किया, तब से यह समय ऐसे ही चला आ रहा है।

बीते कुछ सालो में संसद में बजट पेश करने की प्रक्रिया में कई बदलाव हुए हैं। 2016 में मोदी सरकार ने 1924 से कायम रेल और आम बजट को अलग प्रस्तुत करने की परंपरा को बदल दिया। और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल और आम बजट एक साथ पेश किया। और यह बजट फ़रवरी के आखिरी कामकाज के दिन के बजाय फ़रवरी के पहले दिन लाया गया। इसके पीछे सरकार का तर्क था कि बच रहे इस समय का उपयोग बजट की बाक़ी प्रक्रियाओं को पूरा करने के किया जाएगा। जिससे बजट को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। बदलाव की इसी कड़ी में 5 जुलाई 2019 को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने संसद भवन पहुंची तो दृश्य बाकी वर्षो के बजट से अलग था। उनके हाथ में बजट परंपरागत चमड़े वाले ब्रीफ केस की जगह एक लाल रंग के कपडे के बस्ते में दिखा। यह देश के वित्तीय बही खाते की नई तस्वीर थी। साल 2021 में निर्मला सीतारमण द्वारा ही देश का पहला पेपरलेस बजट प्रस्तुत किया गया। जिसे एक टैबलेट के माध्यम से वित्त मंत्री ने देश के सामने रखा। भारत का बजट आर्थिक बही खाते के साथ-साथ कई परंपराओं को भी संजोता है। जिसमें एक रस्म हैं ‘हलवा सेरेमनी’। यह भारत में शुभ कार्य से पहले मीठा खाने की परंपरा का हिस्सा है। इस दौरान वित्त मंत्रालय के नार्थ ब्लॉक में एक बड़ी सी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है। जिसे वित्त मंत्री खुद बजट बनाने प्रक्रिया में लगे कर्मचारियों को परोसते हैं। इसके साथ ही बजट की औपचारिक छपाई का कार्य आरम्भ होता है। पर कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस साल इसमें भी बदलाव किया है। और सामूहिक हलवा सेरेमनी की जगह अधिकारियों को मिठाइयां दी गई।

-शक्ति प्रताप सिंह

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Shakti Pratap Singh

Student of Indian Institute of Mass communication