बदलती शिक्षा तकनीक को बजट से बड़ी उम्मीदें

कोरोना की मार से पिछले दो साल में कोई वर्ग नहीं बचा है। इसका बड़ा प्रभाव स्कूल और कॉलेज की शिक्षा पर पड़ा है। लॉकडाउन के कारण क्लासरूमो में ताले पड़ गए और पढ़ाई के लिए सबको ऑनलाइन क्लासों का रुख करना पड़ा। इस बदलाव ने भारत के पूरे शिक्षा तंत्र के सामने चुनौती खड़ी कर दी। लेकिन अब 2 साल बाद बच्चों और शिक्षकों दोनों ने खुद को ऑनलाइन शिक्षा की तकनीक में ढाल लिया है। इसलिए शिक्षा क्षेत्र में 'ऑनलाइन एजुकेशन' एक सार्थक विकल्प के रूप में उभरा है। यहीं कारण है कि सबको उम्मीद है, की साल 2022 के बजट में शिक्षा के हिस्से का बड़ा खर्च ऑनलाइन एजुकेशन पर होगा। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को मांग है कि टेक्‍नोलॉजी अपग्रेडेशन पर ध्यान दिया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चें की बड़ी संख्या संसाधनों के आभाव में ऑनलाइन पढ़ाई से दूर है| इसलिए गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी पर बल देने की जरुरत है। जरुरतमंद बच्चों को मुफ्त व सस्‍ती कीमतों पर मोबाइल या टैब देने की भी मांग है। इन सब जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार को शिक्षा क्षेत्र में बीते सालों की तुलना में अधिक पूंजी लगानी होगी।

बीते सालों में शिक्षा पर खर्च

जब लॉकडाउन में पढ़ाई ने ऑनलाइन मोड़ ऑन किया, तो कई नए स्टार्टअप और संस्थान सामने आए। जिसमें कई 'ऑनलाइन टीचिंग प्लेटफॉर्म' शामिल रहे। इनके कारण बच्चों को तकनीक और शिक्षा का तालमेल बैठाने में सहायता मिली। ऐसे में इन छोटे स्टार्टअप और संस्थानो की भी बजट से अपनी उम्मीदें हैं। यह स्टार्टअप के शुरुआती दौर में टैक्‍स राहत और आसान शर्तों पर लोन की मांग कर रहें हैं।

नई शिक्षा नीति को भी बड़ी पूंजी की दरकार

केंद्र सरकार द्वारा 2020 में नई शिक्षा नीति लाई गई। जिसमें शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव होने हैं और बड़ी मात्रा में निवेश की जरूरत है। इस नीति में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का निर्माण प्रस्तावित है। जिसमें पांच सालों में 50 हज़ार करोड़ रुपए लगने हैं। वहीं पिछले बजट में जिला और ब्लॉक स्तर के 15'000 स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए आदर्श विद्यालय स्कीम के तहत 4,684 करोड़ रुपए की घोषणा हुई थी। 100 नए सैनिक स्कूल बनने हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा क्षेत्र में जीडीपी के औसत 3 फ़ीसदी खर्च को बढ़ाकर 6 फ़ीसदी करना चाहिए। ऐसे में नई शिक्षा नीति को समय पर लागू करने के लिए भी सरकार पर शिक्षा बजट को बढ़ाने का जरूरत है।

-शक्ति प्रताप सिंह

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Shakti Pratap Singh

Student of Indian Institute of Mass communication